Saturday, December 6, 2008

साजिशें ! (नज़्म)

भूल न जाना...
की तू आतिश है,
और....
साजिशें कर रखी हैं
शरारों ने तेरे ख़िलाफ़,
तेरी हर नज़्म हर ग़ज़ल जला देंगे,

सुन यारा.......

ज़रा संभल कर पीना !

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1 comments:

स्वप्निल तिवारी said...

tumi ek dum boka..

ise bhi yahaan post kar diya..had hai...