एक अकेली छतरी मे जब आधे आधे भीग रहे थे आधे सूखे आधे गीले, सूखा तो मैं ले आई थी गीला मन शायद बिस्तर के पास पड़ा हो वो भिजवा दो, मेरा वो सामान लौटा दो -- गुलज़ार
सुन यारा.......
ज़रा संभल कर पीना !
tumi ek dum boka..ise bhi yahaan post kar diya..had hai...
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1 comments:
tumi ek dum boka..
ise bhi yahaan post kar diya..had hai...
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