Thursday, April 14, 2011

Mujhse Naaraaz Ho [Movie Song]

I just love this song from the movie "Papa Kahte Hain". It has touched the very core of my heart... so just thought of sharing it on my blog...



मुझसे नाराज़ हो तो हो जाओ
खुद से लेकिन खफा खफा न रहो
मुझसे तुम दूर जाओ तो जाओ
आप अपने से तुम जुदा न रहो

मुझसे नाराज़ हो.....

मुझपे चाहें यकीं करो न करो
तुमको खुद पर मगर यकीन रहे
सर पे हो आसमान या कि न हो
पैर के नीचे ये ज़मीन रहे
मुझको तुम बेवफा कहो तो कहो
तुम मगर खुद से बेवफा न रहो

मुझसे नाराज़ हो.....

आओ इक बात मैं कहूँ तुमसे
जाने फिर कोई ये कहे न कहे
तुमको अपनी तलाश करनी है
हमसफ़र कोई भी रहे न रहे
तुमको अपने सहारे जीना है
ढूँढती कोई आसरा न रहो

मुझसे नाराज़ हो तो हो जाओ
खुद से लेकिन खफा खफा न रहो
मुझसे तुम दूर जाओ तो जाओ
आप अपने से तुम जुदा न रहो..!!
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                      --Javed Akhtar

Tuesday, April 12, 2011

Ek Nazm..


सुना है पानी की इक खासियत है
कि उसमे डूबना पहले पहल
मुमकिन नहीं होता
वो हर डूबी हुई चीज़ों को ऊपर फेंकता है

कभी हम तुम भी फुरक़त* के
समंदर में हुए थे गर्क*

वो बीता वक़्त वो लम्हें
जो हम संग लेके डूबे थे
बड़े भारी थे जाना

और हमको जिस्म प्यारा था !

तो उनको छोड़कर
हम फिर से लौटे हैं सतह पर
और इस दुनिया में वापस आगये हैं
सभी से मिल रहे हैं
रो रहे हैं
हंस रहे हैं
मगर इक फर्क दिखने लग गया है...

कि जब भी देखता हूँ आईना मैं
तो उसमे मुझको अब फूली हुई इक लाश दिखती है !!
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 [फुरक़त -- Parting, Separation]; [गर्क -- Drown]
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