Wednesday, January 21, 2009

दीवाना कुछ भी बकता रहता है (नज़्म)


मेरी बात मान ले जाना 
मेरी बातों पर न जाना
दीवाना कुछ भी बकता रहता है
 
अभी आसमान में उड़ कर आया हूँ
बादलों पर चलकर आया हूँ
कोहरे ने रास्ता दिखाया है
ज़मीं पर लेकर आया है
अब खडा हूँ यहाँ इंतज़ार में
ज़रा मंजिलों को लेकर आना..

..मेरी बातों पर न जाना..
दीवाना कुछ भी बकता रहता है.

फूलों से दोस्ती कर तितलियों से दुश्मनी की है,
सागर से नमक लेकर हवाओं से नमी पी है,
दीवाना कबसे दरवाज़े पर इसके खडा है,
ये इश्क भी जिद्दी अपनी जिद पर अदा है,
सुना है घर में इसने कई रंग दबा कर रखे हैं,
ज़रा दो घडी इससे मेरा रु-बा-रु कराना,

..मेरी बातों पर न जाना..
दीवाना कुछ भी बकता रहता है.

मुझे नहीं पता यह प्यार है या नहीं,
जो मैंने तुमसे बोला था वो इकरार है या नहीं,
यहाँ ऊपर मैंने जो कुछ भी लिखा है,
यह मदहोश सपना मुझे होश में ही दिखा है,
अब इल्तिजाह है तुमसे गर मान लो तो किस्मत मेरी,
जब भी तुम ख्याल का रूप लो तो मेरी नज्मों में भी आना,

..मेरी बातों पर न जाना..
दीवाना कुछ भी बकता रहता है.
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Friday, January 9, 2009

पैराहन (नज़्म)


मैं तो आज भी
ढक  कर रखता हूँ
तेरे दिए जख़्मो को
कहीं वक़्त की हवा लगे
तो सूख ना जाएँ.
एक यही तो तेरी
निशानी बाकी है मेरे पास.

मुझे पता है
एक जख्म तूने भी
अपने पास रखा है
जो रिस्ता रहता है
हर वक़्त..

तूने जो हँसी का पैराहन* 
इसपर डाल रखा है ना...
वह बहुत गीला है..!!

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*पैराहन = कपडा
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Friday, January 2, 2009

तेरी आँखों के सिवा दुनिया में रखा क्या है



मुझे यूँ लगता है तो मेरी खता क्या है,
तेरी आँखों के सिवा दुनिया में रखा क्या है,

कोसता है कोई मुझको बड़ी शिद्दत से आज,
दीवाने को इस से बड़ी और दुआ क्या है,

मेरी तो आदत है तेरी चोखट पे लौट आने की,
तेरे दरवाज़े ने तुझसे अब कहा क्या है,

आज फिर मैं उड़ा हूँ तेरे इशारों पर,
मैं नहीं जानता यहाँ की यह हवा क्या है,

तेरे हाथों में है मेहँदी, मेरे हाथों में है कालिख,
यारब कहाँ और कब मैंने छुआ क्या है,

तेरा रोना मेरे मरने की धमकी पर अक्सर,
मेरे मरने पर आज पूछना इसे हुआ क्या है.
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* आबला = छाले
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तन्हाई..!! (नज़्म)

तरस गया हूँ आफताब* केलिए,
की ज़ौ* बरसे तो
यादों से भीगे मेरे
ज़हन को कुछ आराम आए.

तन्हाइयों के बादलों ने
सालों से डेरा जमा रखा है,
और बरसते रहते हैं,
बेमौसम...

इनसे निजाद पाने की उमीद,
अब तुमसे है,

....

की तुम आओ तो थोड़ी हवा चले..!!

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*आफताब = सूरज
*ज़ौ = सूरज की किरने