
मैं तो आज भी
ढक कर रखता हूँ
तेरे दिए जख़्मो को
कहीं वक़्त की हवा लगे
तो सूख ना जाएँ.
एक यही तो तेरी
निशानी बाकी है मेरे पास.
मुझे पता है
एक जख्म तूने भी
अपने पास रखा है
जो रिस्ता रहता है
हर वक़्त..
तूने जो हँसी का पैराहन*
इसपर डाल रखा है ना...
वह बहुत गीला है..!!
ढक कर रखता हूँ
तेरे दिए जख़्मो को
कहीं वक़्त की हवा लगे
तो सूख ना जाएँ.
एक यही तो तेरी
निशानी बाकी है मेरे पास.
मुझे पता है
एक जख्म तूने भी
अपने पास रखा है
जो रिस्ता रहता है
हर वक़्त..
तूने जो हँसी का पैराहन*
इसपर डाल रखा है ना...
वह बहुत गीला है..!!
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*पैराहन = कपडा
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