Saturday, September 12, 2009

लम्हे..!!


जीवन मे कुछ भी पलट कर नहीं आता,
जो गुज़र चुका है वो गुज़र गया,

एक तुम...
जिसके जीवन मे
सरसों के फूलों की महक है..
और एक मैं...
जो हथेली पर
सरसों जमाने की कोशिश मे लगा हूँ,

तुम्हारे लिए
वक़्त गुज़र रहा है
मेरे लिए
लम्हे ठहरे हुए हैं..!!

Friday, January 9, 2009

पैराहन (नज़्म)


मैं तो आज भी
ढक  कर रखता हूँ
तेरे दिए जख़्मो को
कहीं वक़्त की हवा लगे
तो सूख ना जाएँ.
एक यही तो तेरी
निशानी बाकी है मेरे पास.

मुझे पता है
एक जख्म तूने भी
अपने पास रखा है
जो रिस्ता रहता है
हर वक़्त..

तूने जो हँसी का पैराहन* 
इसपर डाल रखा है ना...
वह बहुत गीला है..!!

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*पैराहन = कपडा
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