Friday, May 14, 2010

रोती हुई बहार खिज़ां से गुज़र गयी..!!

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एक बात यकबयक जो ज़ुबां से गुज़र गयी
उसको लगी कहां पे कहां से गुज़र गयी

वो दूर से भी निकले तो दिल को लगे है ये
गुजरी नहीं वहां से यहां से गुज़र गयी

इंसानियत को आदमी का हाल जब दिखा
सहमी डरी हुई सी, जहां से गुज़र गयी

जब भूख मुफलिसी की ज़बां बोलने लगी
रोती हुई बहार खिज़ां से गुज़र गयी

[खिज़ां -- पतझड़]
 
नज़रें मिलीं तो नज़रें हटा कर गुज़र गया
लेकिन नज़र वो सोज़े-निहां से गुज़र गयी..!!

[सोज़े निहां -- गहरा दबा हुआ दुख]
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