Thursday, July 30, 2009

मैं बुरा हूँ बस बुराई का सबब मत पूछिए..!!



मुझसे मिलने पर जुदाई का सबब मत पूछिए,
मैं बुरा हूँ बस बुराई का सबब मत पूछिए,

जिसके घर में धूल से ही पेट भरतें हो सभी,
उसके घर जाकर रुलाई का सबब मत पूछिए,

चोट के गर्दन पे, चहरे पे निशाँ मौजूद हों,
लड़की से फिर बेवफाई का सबब मत पूछिए,


बाप के काँधे पे बढती उम्र का जब बोझ हो,
रोज़ बेटी से लडाई का सबब मत पूछिए

देखिये एहसास मेरे 'लम्स' के उड़ते हुए
मुझसे लेकिन इस रिहाई का सबब मत पूछिए..!!

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4 comments:

निर्मला कपिला said...

बिलकुल नहीं पूछेंगे मगर बेटाजी आपकी गज़ल बहुत लाजवाब है ये तो बता सकते हैं न? बहुत खूब बधाई

वर्तिका said...

"देखिये एहसास मेरे 'लम्स' के उड़ते हुए
मुझसे लेकिन इस रिहाई का सबब मत पूछिए..!!"

waah! khoob gazal hui hai gaurav ji...

रश्मि प्रभा... said...

इतने गहरे भाव....पूछने को रहा क्या

Rishu said...

bahut khoobsurat ghazal.......