Thursday, October 8, 2009

ऐ मालिक..!!

मान जाना यह दुआएं इस दिवाली ऐ खुदा,
दिल नहीं दिए जलायें इस दिवाली ऐ खुदा,
फुलझडी होठों पे हों और चरखियां आँखों मे हों,
घर के संग दिल भी सजायें इस दिवाली ऐ खुदा!!
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जो खुदा ने नाम सबके के कर दी इतनी नेमतें,
इसको कहते हैं दिवाली पे बुलंद हैं किस्मतें,

ऐ मालिक....ऐ मालिक
तेरी ही हैं ..रहमतें!!

भूखे को रोटी मिली और जीने का मानी मिला,
कुछ उम्मीदों से भरे खेतों को फिर पानी मिला,
जिस तरफ भी पैर उसके, उस तरफ मक्का दिखा,
मुझको हर इन्सान के अन्दर मेरा साईं दिखा,

ऐ मालिक....ऐ मालिक
तेरी ही हैं ..रहमतें!!

होली हो क्रिसमस हो ओ फिर ईद संग लोहड़ी रहें,
नफरतों के बीच भी गुन्जाईशें थोड़ी रहें,
जब ज़रुरत आई हिन्दू ने चडाई चादरें,
और मजारें भी तो ऐसी चादरें ओढी रहें,

ऐ मालिक....ऐ मालिक
तेरी ही हैं ..रहमतें!!

बिजली है न रौशनी है घर भी है शर्मा रहा,
आस पास के उजालों से उजाला आ रहा,
कैसा दिलखुश शख्स है दीवाली यूँ मना रहा,
गोद में लेकर वो भूखे बच्चे को ये गा रहा...

ऐ मालिक....ऐ मालिक
तेरी ही हैं ..रहमतें!!
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4 comments:

Udan Tashtari said...

बहुत खूबसूरत नज़्म!! बधाई.

mehek said...

जिस तरफ भी पैर उसके, उस तरफ मक्का दिखा,
मुझको हर इन्सान के अन्दर मेरा साईं दिखा,
amen sunder bhav

रश्मि प्रभा... said...

होली हो क्रिसमस हो ओ फिर ईद संग लोहड़ी रहें,
नफरतों के बीच भी गुन्जाईशें थोड़ी रहें,
जब ज़रुरत आई हिन्दू ने चडाई चादरें,
और मजारें भी तो ऐसी चादरें ओढी रहें,
waah, bilkul sahi

वर्तिका said...

i just dont have wrds to tell u ki kitni khoobsoorat kriti hai yeh..... har lafz seedhe dil tak pahunchtaa hai.... har stanzaa ke baad lag raha tha ki shayad jo abhi padhaa vo stanzaa iss kaa sabse khoobsoorat part hogaa...par har agale stanza ke saath lagtaa tha ki shayad yeh aur bhi accha hai... this is just too gud... aur ant ke liye to kyaa kahoon..... bas.,.. hats off to u....