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एक बात यकबयक जो ज़ुबां से गुज़र गयी
उसको लगी कहां पे कहां से गुज़र गयी
वो दूर से भी निकले तो दिल को लगे है ये
गुजरी नहीं वहां से यहां से गुज़र गयी
इंसानियत को आदमी का हाल जब दिखा
सहमी डरी हुई सी, जहां से गुज़र गयी
जब भूख मुफलिसी की ज़बां बोलने लगी
रोती हुई बहार खिज़ां से गुज़र गयी
[खिज़ां -- पतझड़]
एक बात यकबयक जो ज़ुबां से गुज़र गयी
उसको लगी कहां पे कहां से गुज़र गयी
वो दूर से भी निकले तो दिल को लगे है ये
गुजरी नहीं वहां से यहां से गुज़र गयी
इंसानियत को आदमी का हाल जब दिखा
सहमी डरी हुई सी, जहां से गुज़र गयी
जब भूख मुफलिसी की ज़बां बोलने लगी
रोती हुई बहार खिज़ां से गुज़र गयी
[खिज़ां -- पतझड़]
नज़रें मिलीं तो नज़रें हटा कर गुज़र गया
लेकिन नज़र वो सोज़े-निहां से गुज़र गयी..!!
[सोज़े निहां -- गहरा दबा हुआ दुख]
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लेकिन नज़र वो सोज़े-निहां से गुज़र गयी..!!
[सोज़े निहां -- गहरा दबा हुआ दुख]
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5 comments:
इंसानियत को आदमी का हाल जब दिखा
सहमी डरी हुई सी, जहां से गुज़र गयी...
bahut sundar ....
वाह, क्या बात है !
ख़ूबसूरत गज़ल शर्माजी
बहुत ख़ूब
बहुत जबरदस्त!
खूबसूरत। क्या क्या कह दिया है... अनायास ही
Mere Dost Gourav ji............................................:),,,,,,,aap nhi jaante kitni khushi hui mujhe aapko dekh ke.,..:)..
......................
जब भूख मुफलिसी की ज़बां बोलने लगी
रोती हुई बहार खिज़ां से गुज़र गयी
hmmmmmmmmm....
aapki taareef kr ke ab thakne lgi hun.:P....hmeshaa ki trhaa ..laajwaab
take care
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