वो बा-हमी* फैसला..
की हम नहीं मिलेंगे अब !
वो बा-हमी फैसला
कि सोच कि हदें रहें
जब दोस्तों से बात हो
तो मौज़ू* मुख्तलिफ* रहें
और उनके दायरे में तब
न तुम रहो न मैं रहूँ |
वो फैसला तुम्हे याद है?
वो बा-हमी फैसला
की गर कभी कहीं किसी
भी दोस्त के निकाह में
यूँ मान लो हम मिल गए
तो किस तरह मिलेंगे हम |
न तुम नज़र चुराओगी
न मैं नज़र बचाऊंगा
पर इतना मान रखेंगे
हाँ हम ये ध्यान रखेंगे
कि गुफ्तुगू न हो सके
फिर आरज़ू न हो सके |
और दिल फरेब दिल-सिताँ
ये सोच कर मता ए जाँ
मेरे तुम्हारे दरमियाँ
हमारे मान के लिए
अक्लो ईमान के लिए
तब इक बहाना हायल* हो
और इस बहाने के लिए
अब इक बहाना और है
की फैसला हमारा था !
वो फैसला तुम्हे याद है??
वो बाहमी फैसला
वो आहनी फैसला
वो आखिरी फैसला
हाँ हाँ वही फैसला
जिस पर रज़ामंदी मेरी
बिन मांगे तुमको मिल गयी..!!
.................................
बा-हमी -- Mutual
मौज़ू-- Topic
मुख्तलिफ -- Different
हायल -- Obstacle
....................................

This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivs 3.0 Unported License.
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बा-हमी -- Mutual
मौज़ू-- Topic
मुख्तलिफ -- Different
हायल -- Obstacle
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5 comments:
वो फैसला तुम्हे याद है??
वो बाहमी फैसला
वो आहनी फैसला
वो आखिरी फैसला
हाँ हाँ वही फैसला
जिस पर रज़ामंदी मेरी
बिन मांगे तुमको मिल गयी..!!
kis kis faisle ki baat kar di aapne:)
bahut khub!!........shandaar
बहुत सुन्दर ।
Bahut khoob..... bhawporn rachna ke liye badhai.
Bahut bahut shukriya :)
'Lams'
bahut acha laga.........tumhe itne log padhte hain, itna follow karte hain. Is badi si duniya me tumne apne liye ek choti si jagah banayi hai.
Mujhe bhi followers ki list mein add karlo.
Ur die hard FAN.......
tk care
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