मेरी बात मान ले जाना
मेरी बातों पर न जाना
दीवाना कुछ भी बकता रहता है
अभी आसमान में उड़ कर आया हूँ
बादलों पर चलकर आया हूँ
कोहरे ने रास्ता दिखाया है
ज़मीं पर लेकर आया है
अब खडा हूँ यहाँ इंतज़ार में
ज़रा मंजिलों को लेकर आना..
..मेरी बातों पर न जाना..
दीवाना कुछ भी बकता रहता है.
फूलों से दोस्ती कर तितलियों से दुश्मनी की है,
सागर से नमक लेकर हवाओं से नमी पी है,
दीवाना कबसे दरवाज़े पर इसके खडा है,
ये इश्क भी जिद्दी अपनी जिद पर अदा है,
सुना है घर में इसने कई रंग दबा कर रखे हैं,
ज़रा दो घडी इससे मेरा रु-बा-रु कराना,
..मेरी बातों पर न जाना..
दीवाना कुछ भी बकता रहता है.
मुझे नहीं पता यह प्यार है या नहीं,
जो मैंने तुमसे बोला था वो इकरार है या नहीं,
यहाँ ऊपर मैंने जो कुछ भी लिखा है,
यह मदहोश सपना मुझे होश में ही दिखा है,
अब इल्तिजाह है तुमसे गर मान लो तो किस्मत मेरी,
जब भी तुम ख्याल का रूप लो तो मेरी नज्मों में भी आना,
..मेरी बातों पर न जाना..
दीवाना कुछ भी बकता रहता है.
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3 comments:
कोहरे ने रास्ता दिखाया है
ज़मीं पर लेकर आया है.....
जब एहसासों का काफिला ऐसा होता है,
तो शब्द बेमिसाल हो जाते हैं,बहुत ही अच्छा लिखा है
bahut achhi nazm hai.
www.salaamzindadili.blogspot.com
bahut makhmali saa geeet... :) njoyed reading it aloud...
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