Tuesday, August 25, 2009

इस खुदी को आजमाने आगया..!!


इस खुदी को आजमाने आगया
आज फिर तुझको मनाने आगया

जिल्लत-ओ-तौहीन-ओ-तहकीर ये
सब तेरे तोहफे लुटाने आगया,

बद-बुरा बोलो कि बोलो बदगुमां
आइना तुझको दिखाने आगया

बे-शघल,बेसूद-ओ-बेशर्म दर्द,
देख फिर एहसां जताने आगया,

सब्र कर, गिरने तो दे, याघी कि तू,
गिरने से पहले उठाने आगया,

हार कर बाज़ी मे सब कुछ 'लम्स' फिर
दिल बचा तो दिल लगाने आगया..!!
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याघी -- दुश्मन
तह्कीर - insult
बेशघ्ल, बेसूद- useless
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6 comments:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बेहतरीन अशआरों से सजी नज़्म के लिए,
मुबारकवाद!

नीरज गोस्वामी said...

बद-बुरा बोलो कि बोलो बदगुमां
आइना तुझको दिखाने आगया

वाह..लाजवाब शेर...बहुत उम्दा ग़ज़ल है ये आपकी...बहुत बहुत बधाई...

नीरज

परमजीत सिहँ बाली said...

बहुत उम्दा गज़ल है।बधाई।

वर्तिका said...

behad khoobsoorat... :)

Nidhi said...

urdu aur gazal ka jyada gyan nahi hai, phir bhi padhkar bahut achhi lagi...

Rishu said...

bhatreen andaz me ek sundar abhivyakti.........

superb.